बख़्श दी है जान मेरी, होश में क़ातिल नहीं है

बख़्श दी है जान मेरी, होश में क़ातिल नहीं है 
कुछ कमी महसूस होती , जोश में महफ़िल नहीं है 

थे कई तूफ़ान ऐसे, आप होते तो न बचते 
जिस जगह डूबी है कश्ती, ये तो वो साहिल नहीं है 

कुछ नया पाने की कोशिश, चल पड़े लम्बे सफ़र में 
आरज़ू थी जिसकी हमको, ये तो वो मंज़िल नहीं है 

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10 Comments

Reena yadav

18-Sep-2022 09:25 PM

👍👍

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Raziya bano

18-Sep-2022 08:32 PM

Nice

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