बख़्श दी है जान मेरी, होश में क़ातिल नहीं है
बख़्श दी है जान मेरी, होश में क़ातिल नहीं है
कुछ कमी महसूस होती , जोश में महफ़िल नहीं है
थे कई तूफ़ान ऐसे, आप होते तो न बचते
जिस जगह डूबी है कश्ती, ये तो वो साहिल नहीं है
कुछ नया पाने की कोशिश, चल पड़े लम्बे सफ़र में
आरज़ू थी जिसकी हमको, ये तो वो मंज़िल नहीं है
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आँचल सोनी 'हिया'
19-Sep-2022 09:28 PM
Achha likha hai 💐
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महावीर उत्तरांचली
21-Sep-2022 09:15 AM
thanks
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Reena yadav
18-Sep-2022 09:25 PM
👍👍
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महावीर उत्तरांचली
21-Sep-2022 09:14 AM
thanks
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Raziya bano
18-Sep-2022 08:32 PM
Nice
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महावीर उत्तरांचली
19-Sep-2022 03:24 PM
thanks
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